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Saturday 27 October 2018

कोहली ने 4 महीने से नहीं खाया नॉनवेज, बताया क्या बदलाव आए

October 27, 2018 0
                  Indian Cricket Team के कप्तान Virat Kohli फिटनेस को लेकर बेहद सख्त रवैया अपनाते हैं. इन दिनों कोहली बेहतरीन फॉर्म में चल रहे हैं और रिकॉर्ड्स का अंबार लगा रहे हैं. इन दोनों कोहली बॉउंड्री से ज्यादा दौड़ कर रन लेने पर काफी जोर दे रहे हैं. जिसकी वजह से वह दुनिया के नंबर 1 बल्लेबाज हैं.

              अपनी फिटनेस को लेकर कोहली ने खुलासा किया है कि उन्होंने 4 महीने पहले ही नॉनवेज खाना छोड़ दिया है . Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक रन मशीन कोहली नॉन वेज छोड़ कर साग सब्जियां अधिक से अधिक खा रहे हैं.


अब कोहली अपने खाने में प्रोटीन शेक, सब्जियां और सोया का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं अंडा, मांस और डेयरी प्रॉडक्ट से उन्होंने दूरी बना ली है.

कोहली का मानना है कि नॉन वेज छोड़ने के बाद उनका खेल पहले से ज्यादा बेहतर हुआ. उनकी पाचन शक्ति मजबूत हुई. कोहली ने बताया सिर्फ 4 महीने में ही वह पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं.
कोहली से पहले दुनिया के कई शीर्ष खिलाड़ियों ने नॉन वेज खाना छोड़ा है. इनमें टेनिस स्टार वीनस विलियम्स और उनकी बहन सेरेना विलियम्स, फुटबॉलर लियोनल मेसी के साथ-साथ फॉर्मूला वन चैंपियन लुईस हैमिल्टन प्रमुख हैं. मेसी ने सिर्फ फीफा वर्ल्डकप के दौरान ही शाकाहारी बने थे.
कोहली ने टीम इंडिया में फिटनेस की अवधारणा को ही बदल डाला है. कैप्टन विराट ने सिर्फ खुद को, बल्कि पूरी टीम को चुस्त देखना चाहते हैं. 


विराट न सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाज है, बल्कि एक चैंपियन एथलीट भी हैं, जो चीते जैसा शक्तिशाली है.

विराट भी कह चुके हैं, 'मुझे ऐसा महसूस हुआ था कि अगर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर बनने की होड़ में शामिल होने के लिए टॉप क्लास एथलीट भी बनना पड़ेगा.'

विराट के कोच राजकुमार शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि विराट कभी कबाब, बिरयानी और खीर पर टूट पड़ते थे. लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है.

विराट खुद भी कह चुके हैं. मैं एक पंजाबी ब्वॉय हूं, जो आम तौर पर बटर चिकन पसंद करता था. लेकिन नियंत्रित आहार (डाइट) के शुरुआती दिन मेरे लिए आसान नहीं थे. अब तो डाइट जीवन का आधार बन चुका है. वजन उठाने से लेकर अन्य एक्सरसाइज करते हुए जिम में घंटों समय बिताता हूं.
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Thursday 25 October 2018

सावधान! खड़े होकर पानी पीने से शरीर को होते हैं ये गंभीर नुकसान

October 25, 2018 0
                  शरीर को स्वस्थ और फिट रखने में पानी की अहम भूमिका होती है. मानव शरीर में पानी की मात्रा 50-60 प्रतिशत होती है. पानी शरीर के अंगों और ऊतकों की रक्षा करता है. साथ ही कोशिकाओं तक पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुंचाने का काम भी करता है.

           हालांकि, सभी जानते हैं कि अच्छी सेहत के लिए सही मात्रा में पानी पीना कितना ज्यादा जरूरी है. लेकिन सिर्फ दिनभर में 8 गिलास पानी पीना ही अच्छी सेहत के लिए काफी नहीं होता है, बल्कि आप किस तरह और किस पोजीशन में पानी पीते हैं ये भी अच्छी सेहत के लिए बहुत मायने रखता है.




हम में से अधिकतर लोग खड़े होकर पानी पीते हैं. खड़े होकर पानी पीने की आदत आपके शरीर को बुरी तरह नुकसान पहुंचाती है, आइए जानें कैसे...

आयुर्वेद के मुताबिक, जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो, इससे हमारे पेट पर अधिक प्रेशर पड़ता है, क्योंकि खड़े होकर पानी पीने पर पानी सीधा इसोफेगस के जरिए प्रेशर के साथ पेट में तेजी से पहुंचता है. इससे पेट और पेट के आसपास की जगह और डाइजेस्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा खड़े होकर पानी पीने से शरीर को इससे मिलने वाले किसी भी न्यूट्रिएंट्स का फायदा नहीं होता है.

खड़े होकर पानी पीने से पानी प्रेशर के साथ पेट में जाता है, जिससे सभी इंप्योरिटीज ब्लैडर में जमा हो जाती हैं, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचता है.

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पानी पीने का तरीका हमारी सेहत को कई तरह से प्रभावित करता है, क्योंकि पानी के प्रेशर से शरीर के पूरे बायोलॉजिकल सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है. इससे जोड़ों के दर्द की समस्या हो जाती है.



खड़े होकर पानी पीने से फेफड़ों पर भी बुरा असर पड़ता है क्योंकि इससे हमारे फूड पाइप और विंड पाइप में ऑक्सीजन की सप्लाई रूक जाती है. अगर कोई शख्स लगातार खड़े होकर पानी पीता है तो उस व्यक्ति को फेफड़ों के साथ-साथ दिल संबंधी बीमारी होने की संभावना भी अधिक होती है.

खड़े होकर पानी पीने से प्यास कभी नहीं बुझती है. यही कारण है कि पानी पीने के कुछ मिनट बाद ही आपको फिर से प्यास लगने लगती है. इसलिए बेहतर होगा कि बैठकर आराम से पानी पिएं.

जब हम बैठकर पानी पीते हैं तो हमारी मांसपेशियां और नर्वस सिस्टम बहुत रिलेक्स रहते हैं. साथ ही खाना जल्दी डाइजेस्ट हो जाता है.

इसलिए हमेशा बैठकर ही पानी पीने की कोशिश करें. इस तरह से पानी का फ्लो धीमा रहेगा और शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स भी मिलेंगे.

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Monday 15 October 2018

सेहत के लिए फायदेमंद है नवरात्र‍ि का व्रत, ये रहे फायदे ...

October 15, 2018 0
           नवरात्रि के 9 दिन व्रत रखना सिर्फ भक्ति का विषय नहीं है, बल्कि य‍ह आपकी सेहत पर भी सीधा असर डालता है। जी हां, नवरात्र‍ि में आपकी जीवनशैली और खान-पान में लगातार 9 दिनों तक जो अंतर आता है वह आपकी सेहत को प्रभावित करता है। नवरात्रि में उपवास रखना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है। चलिए जानते हैं नवरात्रि उपवास के फायदे.........

 फायदे -

 नवरात्रि में व्रत रखने पर ऐसे लोग भी जल्दी उठते हैं, जिन्हें रोजाना देर तक सोने की आदत होती है। लगातार 9 दिन तक ऐसा करने पर इसका असर आपके शरीर, ऊर्जा और मानसिक सेहत पर सकारात्मक रूप से पड़ता है।

  व्रत के साथ पूजा-पाठ की जाती है, जो मानसिक शांति और तनाव कम करने में मददगार होता है। इससे आपका मानसिक स्तर सुधरता है, साथ ही आप प्रसन्न रहते हैं।

  खाने पीने में परहेज करने का असर भी आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है। इन दिनों आप नमक और अन्य कैलोरी फूड नहीं खाते और फल, दूध एवं जूस का सेवन ज्यादा करते हैं जिससे आपका वजन नियंत्रित होता है।



  फलाहार और तरह पदार्थों का सेवन पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जिसे आपको कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

  व्रत में आप शराब, सिगरेट एवं अन्य धूम्रपान संबधी चीजों का सेवन नहीं करते, जिससे आपकी बिगड़ती सेहत पर कंट्रोल होता है, और नुकसान से भी बचते हैं।

  व्रत रखने से शरीर के अंदर से कोलेस्ट्राल की मात्रा कम होती है, जिससे आपकी बॉडी के साथ ही दिल और बाकी अंगों की फिटनेस बढ़ती है।

  इन दिनों में तापमान अधिक होता है और प्यास भी ज्यादा लगती है। ऐसे में जब आप भरपूर पानी और तरल पदार्थों का सेवन करते हैं तो डिहाइड्रेशन नहीं होता और आप ज्यादा फ्रेश रहते हैं।

  इन दिनों आप आध्यात्मिक होते हैं। आध्यात्‍म का आपकी मानसिक और आत्मिक सेहत में वृद्धि होती है और आपको अतिरिक्त ऊर्जा का एहसास होता है।
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Friday 12 October 2018

नींद लेने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए, ये रहा कारण...

October 12, 2018 0
              अधिक सोने से आपके मस्तिष्क के काम करने के तरीके को नुकसान पहुंच सकता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जो कम सोता है या रात में सात से आठ घंटे से ज्यादा की नींद लेता है उसकी समझने-जानने की क्षमता कम हो जाती है।

             कनाडा के वेस्टर्न विश्वविद्यालय  के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले साल जून में शुरू किए गए नींद संबंधी सबसे बड़े शोध में विश्व भर के 40,000 लोग शामिल हुए। ऑनलाइन शुरू की गई इस वैज्ञानिक जांच में एक प्रश्नावली और ज्ञानात्मक प्रदर्शन (काग्नेटिव परफार्मेन्स) वाली गतिविधियों की श्रृंखला शामिल की गई।

            वेस्टर्न विश्वविद्यालय के एड्रियन ओवन ने कहा, “हम वास्तव में विश्व भर के लोगों की सोने की आदतों के बारे में जानना चाहते थे। निश्चित तौर पर प्रयोगशालाओं में छोटे पैमाने पर नींद पर शोध हुए हैं लेकिन हम यह जानना चाहते थे कि वास्तविक जगत में लोगों की नीद संबंधी आदतें कैसी हैं।” लगभग आधे प्रतिभागियों ने प्रति रात 6.3 घंटे से कम नींद लेने की बात कही जो अध्ययन में अनुशंसित नींद की मात्रा से एक घंटे कम थी।

इसमें एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि चार घंटे या उससे कम नींद लेने वालों का प्रदर्शन ऐसा था जैसे वह अपनी उम्र से नौ साल छोटे हों।

अन्य आश्चर्यचकित करने वाली खोज यह थी कि नींद सभी वयस्कों को समान रूप से प्रभावित करती है। नींद की अवधि और अत्याधिक कार्यात्मक संज्ञानात्मक व्यवहार के बीच संबंध सभी उम्र के लोगों में समान दिखा।

शोधकर्ताओं ने पाया कि आपके मस्तिष्क को सही से काम करने के लिए सात से आठ घंटे की नींद चाहिए होती है और डॉक्टर भी इतनी ही नींद लेने की सलाह देते हैं।
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कुछ अच्छी आदतें जो आपके स्वास्थ्य को बदल सकती हैं

October 12, 2018 0

Some Good Habits which can changes your Health-


घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।

   बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।

   ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें।

*

 अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।

  कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।

  45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।

  मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।




  खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।

   खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।

  कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।


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Thursday 11 October 2018

दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र होगी 65 साल

October 11, 2018 0

'यंग इंडिया' 2050 तक बन जाएगा 'ओल्ड इंडिया', पांच में एक आदमी की उम्र होगी 65 साल-

                मौजूदा आबादी के चलन को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी.



दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र होगी 65 साल-


                     भारत में जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि ने नीतिकारों के माथे पर लकीर खींच दी है. 1947 में जो जीवन प्रत्याशा दर लगभग 32 वर्ष हुआ करती थी, वह आज बढ़कर 68 वर्ष हो गई है. ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी. हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "अधिक से अधिक लोग काम के लिए शहरों में जा रहे हैं, जिससे पारंपरिक परिवार संरचनाएं बाधित हो रही हैं. ऐसी स्थिति में, परिवार के बुजुर्ग ही हैं जो पीछे छोड़ दिये जाते हैं और ऐसी स्थिति में उनकी देखभाल कठिन हो रही है. वृद्ध व्यक्तियों को अक्सर युवाओं से कम सक्षम और कम काबिल माना जाता है."

                 उन्होंने कहा, "जागरूकता पैदा करने की जरूरत है कि बुजुर्गों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उन्हें स्वस्थ तरीके से जीने में मदद कर सकता है. वृद्धावस्था को जीवन के एक और चरण के रूप में देखने की आवश्यकता है. ऐसा करने और बुजुर्गों से सम्मान के साथ व्यवहार करने से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं."
                  मौजूदा आबादी के चलन को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी.

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1. केले के छिलकों में है गुणों का ऐसा खजाना कि जानकर चौंक जाएंगे आप 
2. 5 बुरी आदतें जो आपको करती हैं बीमार,स्वस्थ दिल के लिए खाने की इन आदतों को बदलें... 




               डॉ. अग्रवाल ने कहा, "बुजुर्गों के सामने पेश आने वाली चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत है और उन्हें सक्रिय भूमिका निभाने के लिए दुनिया को और समुदायों को अधिक समावेशी बनाने की आवश्यकता है. व्यक्तिगत स्तर पर, लोगों को स्वस्थ वृद्धावस्था के लिए, बीमारियों और जटिलताओं से बचने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने चाहिए."
       
     डॉ. अग्रवाल ने उम्र बढ़ने के साथ स्वस्थ रहने के लिए सुझाव देते हुए कहा, "ऐसा मत सोचिए कि आप बूढ़े हो. अपनी 80 या 100 साल की आयु में से अनुभव के 20 से 40 या अधिक वर्ष कम करिए, जो बचे वही आपकी वास्तविक आयु है. धूम्रपान छोडें, व्यायाम को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाएं. फिसलकर गिरने से बचने के लिए अपने घर में छोटे-मोटे बदलाव करें, विभिन्न आयु से संबंधित बीमारियों की जांच करने के लिए मेडिकल स्क्रीनिंग करवाएं."

                उन्होंने कहा, "हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधि के साथ एक संतुलित स्वस्थ आहार लेने से उम्र बढ़ने पर अधिक समस्याएं नहीं होती हैं. कैल्शियम और विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने से महिलाओं को खास मदद मिल सकती है. उम्र बढ़ने के साथ होने वाले डिमेंशिया और संज्ञानात्मक हानि का सामना करने के लिए बुढ़ापे में भी अपने दिमाग को सक्रिय रखना चाहिए. कई बुजुर्ग लोगों को नींद ठीक से लेने में समस्याएं आती हैं. अनिद्रा और दिन में ज्यादा सोने की शिकायतें आम हैं. ऐसे मुद्दों के बारे में अपने हेल्थकेयर प्रदाता से बात करें."
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Tuesday 9 October 2018

रिसर्च में दावा- नोटों में मिले पेट की बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया

October 09, 2018 0

नोट पर मिले 78 तरह के बैक्टीरिया दे सकते हैं टीबी, अल्सर, और पेट की बीमारी : रिपोर्ट


रिसर्च में दावा- नोटों में मिले पेट की बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया

                  आपकी जेब में रखा नोट आपको बीमार बना सकता है। यह टीबी, अल्सर, पेट की बीमारी का करण बन सकता है। यह बात कितनी सही है? यह सवाल छोटे व्यापारियों के देशव्यापी संगठन 'कैट' ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से पूछा है। 'कैट' एक रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस बात की जांच करने की मांग की है। कैट का कहना है कि ऐसे दावों की जांच कराकर सही तस्वीर सामने लाई जानी चाहिए। यदि दावे सही हैं तो बीमारियों से बचाव के उपाय किए जाने चाहिए।



रिपोर्ट में क्या है ?


                   रिपोर्ट्स के मुताबिक करेंसी नोट हजारों लोगों के हाथों से होकर गुजरते हैं। इनमें गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग भी शामिल हैं। इस तरह करेंसी हजारों प्रकार के कीटाणुओं के संपर्क में आती है। इससे बीमारियां फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है। कैट ने इस पत्र की एक कॉपी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मंत्री जेपी नड्डा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भी भेजी है। कैट का मानना है कि सरकार के अलावा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी आगे आना चाहिए। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा, यदि रिसर्च रिपोर्ट्स सही हैं तो करेंसी नोट न सिर्फ व्यापारियों बल्कि आम उपभोक्ता के लिए भी खतरनाक हैं।'


नोटों पर 78 प्रकार के बैक्टीरिया मिले हैं :सीएसआईआर

                काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के अंतर्गत काम करने वाले संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के रिसर्च में चौकाने वाली बात सामने आई है। करेंसी नोटों में बीमारियां फैलाने वाले 78 प्रकार के बैक्टीरिया पाए गए हैं। ज्यादातर नोटों में पेट खराब होने, टीबी और अल्सर जैसी अन्य बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया मिले हैं। जापान और यूरोप के कई देशों में नोटों को मशीनों के जरिए बैक्टीरिया से मुक्त करने के लिए व्यवस्था की गई है।

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नोटों पर दिमागी बुखार के कीटाणु : आईजेसीएमएएस


                इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज (आईजेसीएमएएस) ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज में 2016 में करंसी नोटों पर रिसर्च की थी। जिन 120 नोटों पर रिसर्च की गई उनमें 86.4% नोट बैक्टीरिया से संक्रमित थे। ये नोट डॉक्टर्स, बैंक, बाजार, मीट कारोबारी, विद्यार्थी और गृहिणियों से लिए गए थे। डॉक्टरों से लिए गए नोटों में मूत्र संबंधी, सांस लेने में परेशानी, सेप्टिसीमिया, स्किन इन्फेक्शन, दिमागी बुखार आदि के कीटाणु पाए गए हैं।

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Sunday 7 October 2018

केले के छिलकों में है गुणों का ऐसा खजाना कि जानकर चौंक जाएंगे आप

October 07, 2018 0
एक नजर केले के छिलके के बड़े फायदों पर :-

                हम सब ने सुना है कि फलों को उनके झिलकों के साथ खाना चाहिए, लेकिन हम में से कितने लोग इस बात को मानते हैं यह एक बड़ा सवाल है. यकीनन आप भी ऐसा ही करते होंगे. हममें से बहुत से लोग केला खाकर उसके छिलके (Banana Peels) को कुड़े में फेंक देते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो जरा ठहर जाएं. क्योंकि जिस चीज को आप फेंक रहे हैं उसमें गुणों का ऐसा खजाना है जिसके बारे में जानकर आप चौंक सकते हैं.


                केले के छिलके (Health benefits of Banana Peels) की मदद से आप शरीर को भारी मात्रा में न्यूट्रीयंट्स देने के साथ वज़न भी कम कर सकते हैं. जी हां, केला एक ऐसा फल है, जिसे मानव द्वारा कई सालों से जोता जा रहा है. इसमें ज़रूरतमंद विटामिन जैसे बी-6 और बी-12 के अलावा मिनरल्स, पोटैशियम और मैग्नीशियम होता है. यह फाइबर का एक अच्छा स्रोत होता है, जो आपकी पाचन क्रिया को ठीक करने में काफी मदद करता है.
Benefits of Banana Peels: केले के छिलके में विटामिन-ए की मात्रा पाई जाती है.
Health benefits of Banana Peels:




5 बुरी आदतें जो आपको करती हैं बीमार,स्वस्थ दिल के लिए खाने की इन आदतों को बदलें... 


केले के छिलके में विटामिन-ए  की मात्रा पाई जाती है, जो इम्यूनिटी को मज़बूत कर इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है.

केले के छिलके में लुटीन  होता है, जो आंखों में मोतियाबिंद  होने से रोकता है.

केले के छिलके में एंटी-ऑक्सीडेंटस  होने के साथ विटामिन-बी, ख़ासतौर से विटामिन-बी-6 की मात्रा होती है.

इसमें घुलने वाले और न घुलने वाले फाइबर होते हैं, जो पाचन क्रिया के कार्य को धीरे कर, शरीर से कोलेस्टेरॉल को कम करते हैं.

केले का छिलका खाने में से आप शरीर के लिए जरूरी पोटैशियम  और मैग्नीशियम  पा सकते हैं, जो बल्ड प्रेशर को बनाए रखने में मदद करती है.

कई अध्ययनों का तो यह भी मानना है कि छिलके में सेरोटोनिन नाम का पदार्थ होता है, जो डिप्रेशन पर काबू रख आपको खुश रखता है. इसके अलावा इसमें डोपामाइन होता है, जो दिल की धड़कन पर नियंत्रण रख गुर्दो में खुन का प्रवाह बनाए रखता है.

इस बात पर ध्यान देना भी जरूरी है कि केले का छिलका आपको कैसा लेना है. यह पका हुआ होना चाहिए या कच्चे केले का छिलका इस्तेमाल करना चाहिए.

जापानी साइंटिफिक रिसर्च के मुताबिक पीले छिलके में एंटी-कैंसर गुण होते हैं, जो व्हाइट बल्ड सेल्स को उत्पन्न करने में मदद करते हैं. अगर आप अपने आहार में केले का हरा छिलका शामिल करते हैं, तो इसे मुलायम करने के लिए 10 मिनट उबालें. इसके बाद इस्तेमाल करें.

एक और अध्ययन के अनुसार बताया गया है कि हरे छिलके में ट्रिपटोफन  नामक पदार्थ होता है, जो एक तरह का अमीनो एसिड है. यह रात को अच्छी नींद लेने के लिए लाभकारी है.



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Friday 5 October 2018

5 बुरी आदतें जो आपको करती हैं बीमार,स्वस्थ दिल के लिए खाने की इन आदतों को बदलें...

October 05, 2018 0
Top 5 Foods Habits for a Healthy Heart:-

                इस भागदौड़ भरी जिंदगी में Exercise और अच्छा खानपान दोनों ही जरूरी हैं. इससे आपका दिल तंदुरुस्त (Healthy Heart) रहता है. पिछले तीन दशकों में आम भारतीयों में दिल की बीमारी (heart disease) coronary artery disease (CAD) के मामलों में 300 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. इससे पीड़ित 2 से 6 फीसदी लोग गांव-कस्बों में और 4 से 12 फीसदी लोग शहरों में रहते हैं. 

             कई चीजों के अलावा, इसके लिए जीवनशैली से जुड़े कारक जैसे कि शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन (Alcohol and Heart Health) भी जिम्मेदार है. अधिक मात्रा में शराब के सेवन से रक्त धमनियों में एक प्रकार की बाधा (cholesterol plaque in the walls of arteries) उत्पन्न हो सकती है, जिसे Atherosclerosis के नाम से जाना जाता है. इसके चलते एक अथवा कई रक्त धमनियां थोड़ी या फिर पूरी तरह से ब्लॉक  हो जाती हैं, जिससे रक्त के प्रवाह पर असर पड़ता है. अनियंत्रित CAD की वजह से एक समय के बाद हार्ट अटैक की आशंका भी बढ़ जाती हैं और आप किस तरह इस संभावना को कम कर सकते हैं-



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                दिल की बीमारियों (heart disease) से बचने के लिए आपको अपने आहार को अच्छा बनाने की जरूरत है. और सेहतमंद दिल के लिए कैसा आहार होना चाहिए ???

             इसके लिए न्यूट्रिशनिस्ट और बेलैंस को न्यूट्री एक्टीवेनिया की प्रमुख अवनि कौल ने दिल को स्वस्थ रखने के लिए ये पांच सुझाव दिए हैं (Top 5 foods for a healthy heart) :

1. भोजन की मात्रा पर ध्यान दें (Servings from Each Food Group):-

                 मोटापे से रक्तचाप बढ़ता है और फिर दिल की अनेक बीमारियां होने का सदैव अंदेशा रहता है. इसलिए हमेशा अपने शरीर की जरूरत भर ही खाना खाएं. मैदा इत्यादि का सेवन कम करें. सब्जियां और फलों की मात्रा बढ़ाएं. घर के बाहर खाने में अक्सर मात्रा का अंदाजा नहीं लग पाता है.

2. घर पर खाने को हमेशा प्राथमिकता दें (Homemade food):-

                अगर आप भी दिल की सेहत से जुड़े कुछ फैसले करना चाहते हैं तो बाहर की बजाए घर का खाना खाने की आदत ड़ालें. घर पर भोजन करना अधिक पौष्टिक होता हैं, क्योंकि आप स्वयं सब्जी, मसाले, चिकनाई एवं पकाने की विधि का चयन करते हैं. आप खाने को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें विभिन्न प्रकार के मसाले डाल सकते हैं और नमक एवं चीनी जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा कम कर सकते हैं.

                  घर के खाने में परिवार के सभी सदस्यों से सलाह एवं सहायता लेकर एक पारिवारिक गतिविधि का रूप दे सकते हैं. यह खाना सस्ता भी पड़ता है. सब्जियों को अधिक तलकर या भून कर ना बनाएं. इन विधियों में तल की खपत अधिक हाती है जिससे मोटापा बढ़ता है. उबालकर या कम तेल में खाना बनाने की चेष्टा करें और जहां तक हो सके, हमेशा ताजा खाना खाएं.

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3. अधिक फाइबर वाला खाना खाएं (Fiber for Heart):-

                   साबूत दालें-अनाज, सब्जियां जैसे गाजर, टमाटर आदि में न घुलने वाला फाइबर होता है. दलिया, सेम, लोभिया सूखे मेवे और फल जैसे सेब, नींबू, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर होते हैं.

                   फाइबर युक्त भोजन अधिक समय तक पेट में रहता है, जिसके कारण पेट भरा हुआ महसूस होता है और खाना भी कम खाया जाता है. इसी कारण वजन भी कम होता है. फाइबर युक्त भोजन पाचन के समय शरीर से बसा निकाल देता है, जिसके कारण कॉलेस्ट्रॉल कम होता है व हृदय अधिक तंदुरुस्त होता है. फाइबर युक्त भोजन से अधिक ऊर्जा मिलती है जिसके कारण व्यायाम में थकान कम होती है. फाइबर युक्त भोजन से शरीर व हृदय दोनों सशक्त होते हैं.

4. अच्छी सेहत के लिए कम खाना चाहिए नमक और बासी खाना (Is Salt Bad for You?) :-

                  भोजन में अधिक नमक की मात्रा होने से रक्तचाप बढ़ जाता है. इस कारण हृदय में कई बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है. तो जहां तक हो सके, ताजा खाना खाने की चेष्टा करें, क्योंकि पहले से निर्मित किये भोजन में कई हानिकारक पदार्थ होते हैं. ये भोजन का स्वाद ठीक बनाए रखने के लिए डाले जाते हैं. खाने को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए मसाले, हरा धनिया, पुदीना आदि डालिए. इस तरह नमक की मात्रा भी कम हो जाएगी.

5. नुकसानदेह चिकनाई यानी वसा की जगह फायदेमंद चिकनाई खाएं ( Which Fats Really Are Good for Your Heart?):-

                   यह जानना भी तार्किक है कि तेल, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं और लाल मांस में नुकसानदेह चिकनाई होती है जो आपका बुरा कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाकर आपके हृदय को अस्वस्थ करती है, लेकिन मछली, अंडा, झिल्ली उतारा हुआ मुर्गा, दालें, टोफू, किनुआ इत्यादि से पोष्टिक प्रोटीन एवं फायदेमंद चिकनाई दोनों मिलती है. बाजार में मिलने वाले अधिकतर खाने की वस्तुओं में अच्छा पौष्टिक तेल नहीं होता. इस कारण इनका उपभोग कम से कम करना चाहिए. चीनी एवं मैदे का उपयोग कम से कम करना चाहिए और भोजन में पौष्टिक तत्व जैसे सूखे मेवे, हरी सब्जियां इत्यादि का उपयोग बढ़ा देना चाहिए.

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Thursday 4 October 2018

डेंगू के बारे में अहम बातें, जिन्हें शायद ही जानते होंगे आप

October 04, 2018 0

डेंगू एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है जिसमें तेज़ बुखार के साथ शरीर पर लाल रंग के चकते, सिर और बदन दर्द होता है।
                      हर साल सैकड़ों लोगों के लिए डेंगू जानलेवा बन जाता है। इस प्रकार यह आवश्यक है कि लोगों को इसके बारे में अवगत कराया जाए। डेंगू बुखार एडीज़ इजिप्टी मच्छर के काटने के माध्यम से फैलता है। ये मच्छर स्थिर पानी में उगते हैं, और आमतौर पर मानसून के दौरान जल-जमाव की स्थिति में उनका जन्म होता है। डेंगू में व्यक्ति को सबसे पहले तेज़ बुखार होता है जिसके बाद शरीर पर लाल रंग के चकते पड़ना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, भूख और उल्टी की कमी के लक्षण शामिल हैं। लेकिन रक्त परीक्षण के बाद ही डेंगू की पुष्टि की जा सकती है। डेंगू से संबंधित कुछ चीजें वे हैं जिन्हें आप शायद ही जानते हैं, चलिए कुछ 5 चीजें इस तरह जानते हैं -


डेंगू मच्छर आपके सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है-

               एक डेंगू मच्छर आपके लिए जानलेवा हो सकता है क्योंकि डेंगू मच्छर सीधे आपके सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। इस प्रकार आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर पड़ने लगती है। एक डेंगू मच्छर एक समय में लगभग 100 अंडे देता है और यह लगभग दो सप्ताह तक रहता है।


रात में लाइट के उजाले में काट सकते हैं मच्छर-

               ऐसा माना जाता है कि डेंगू मच्छर केवल दिन की रोशनी में काटता है, लेकिन यहां बिंदु यह है कि रात में लाइट के उजाले में भी मच्छर के काटने की संभावनाएं बनी रहती हैं। डेंगू का मच्छर सुबह के वक़्त और शाम को सूर्यास्त के समय ज़्यादा काटता है। ये मच्छर 15-16 डिग्री से कम तापमान में पैदा नहीं हो पाते हैं। डेंगू के सबसे ज़्यादा मामले जुलाई से अक्टूबर के बीच दर्ज किए जाते हैं।


घरों में पानी की टंकी में पैदा होते हैं डेंगू मच्छर-

              दिल्ली स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 41% डेंगू मच्छर प्लास्टिक के ड्रम और टंकियों में पैदा होते हैं। इसके साथ ही कूलर में 12% और निर्माण स्थलों पर इस्तेमाल होने वाले लोहे के कंटेनरों में 17% डेंगू मच्छर पैदा होते हैं।

डेंगू में प्लेटलेट्स की कमी नहीं होती मौत की वजह-

               आम तौर पर लोग मानते हैं कि डेंगू के दौरान प्लेटलेट की कमी के कारण रोगी मर जाते हैं। लेकिन शायद ही लोग जानते हैं कि डेंगू में मृत्यु का कारण कैशिलरी लीकेज है। अगर एक मरीज को केशिका लीकेज होता है ऐसी स्थिति में, उसे तरल भोजन देना चाहिए। यह तब तक जारी रखना चाहिए जब तक उच्च और निम्न रक्तचाप के बीच का अंतर 40 से अधिक न हो।

डेंगू संक्रामक बीमारी नहीं है-

            डेंगू को आमतौर पर संक्रामक बीमारी माना जाता है। लेकिन हकीकत में, डेंगू संक्रामक बीमारी नहीं है क्योंकि यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता नहीं है। चार प्रकार के डेंगू बीमारी हैं। मरीज को एक बारी में एक ही प्रकार का डेंगू होता है और दूसरी बार डेंगू दूसरी तरह का होता है।डेंगू बीमारी को लेकर लोगों का मानना होता है कि इस दौरान प्लेटलेट्स काउंट बहुत मायने रखते हैं और सिर्फ़ इन्हें बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए। आपको बता दें कि जिन मरीजों के प्लेटलेट काउंट 10,000 से कम पहुंच जाते हैं सिर्फ़ उन्हीं मरीज़ों के लिए डेंगू जानलेवा  स्थिति में पहुंचने की संभावना होती है।
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Wednesday 3 October 2018

Ayurveda: easy steps to control Diabetes in Hindi

October 03, 2018 0

आयुर्वेद: मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए 3 आसान कदम, सीखें कि क्या करना है

                डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में, यह मृत्यु का आठवां और अंधापन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। 

               आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवा लोग और यहां तक ​​कि बच्चे मधुमेह से पीड़ित हैं। बेशक, इसके लिए मुख्य कारणों में से एक पिछले 4-5 दशकों में चीनी, आटा और अजीब खाद्य उत्पादों में किए गए प्रयोग हैं। हम आपको मधुमेह के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में बता रहे हैं।



ये 3 पेय फायदेमंद हैं -

आंवले के स्वरस या आंवले के जूस को 40 मिली लेकर उसमें 1 ग्राम हल्दी पाउडर और 6 ग्राम शहद डालकर उसे सुबह-शाम इस्तेमाल करें। दूसरा उपाय है कि 20 ग्राम आंवला पाउडर लेकर उसमें 250 मिली पानी मिलाएं और उसको मध्यम आंच पर पकाएं और जब वो 1/4 मतलब लगभग 60 मिली रह जाए तो उसे उतार कर, छान कर, ठंडा करके उसमें 250 मिलीग्राम त्रिवंग भस्म, 500 मिलीग्राम छोटी इलायची का चूर्ण, 1 ग्राम हल्दी पाउडर, 6 ग्राम शहद को मिलाएं। इसे सुबह-शाम इस्तेमाल करें।

  दूसरा उपाय लगभग 150 ग्राम की अमरूद की पत्तियों को लेना है, उन्हें पीस कर पानी में भिगो लें और सुबह उन पत्तों को छान के उस पानी को घूंट ले लेकर पिएं। यह मधुमेह में राहत प्रदान करता है।

  यदि आपका शुगर लेवल बहुत अधिक है और आपको इसे सामान्य बनाना है, तो 50 ग्राम बांस की पत्तियां लें और इसे 600 मिलीलीटर पानी में उबालें जब तक कि यह लगभग 75 से 80 मिलीलीटर न हो। अब उसे ठंडा करके, छान कर पीएं। यह जल्द ही इससे शुगर का लेवल जल्दी ही सामान्य अवस्था में आ जाता है। आयुर्वेद में पंचकर्म विधा के द्वारा भी हम डायबिटीज़ का इलाज कर सकते हैं।

डायबिटीज़ के रोगी क्या करें, क्या न करें -

            अब बात करेंगे कि डायबिटीज़ के रोगियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। डायबिटीज़ के लिए दैनिक दिनचर्या बनाना बहुत महत्वपूर्ण है।

  सुबह जल्दी उठना चाहिए।

  व्यायाम के लिए समय निकलना चाहिए । हर रोज, प्राणायाम, योग, व्यायाम किया जाना चाहिए।

  आलसी जीवन शैली के बजाय, सक्रिय जीवनशैली अपनाना जाना चाहिए।

  साइक्लिंग, जिमिंग,स्विमिंग जो भी पसंद है उसे 30-40 मिनट तक ज़रूर करने की आदत डालें। 



क्या खाना खाएं -

जानें कि मधुमेह में किस प्रकार का आहार फायदेमंद है?

  मधुमेह को थोड़ा और पचाने वाला भोजन खाना चाहिए।

  मधुमेह में, हम सभी मौसमी और रसदार फल खा सकते हैं। यदि आप सूखे फल के बारे में बात करते हैं तो आप अखरोट, बादाम, चिया के बीज, मूंगफली और अंजीर भी ले सकते हैं।

  अपनी डाइट में गुनगुना पानी, छाछ, जौ का दलिया और मल्टीग्रेन आटा (मिलाजुला अनाज) शामिल करें।

इन चीजों को मत खाओ -

  मांसाहारी, शराब और सिगरेट का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

  डिब्बाबंद भोजन, पुराना भोजन, फास्ट फूड, जंक फूड, अधिक तेल मसालेदार खाना नहीं खाया जाना चाहिए।
         आप इन आयुर्वेदिक उपचारों का पालन करके स्वस्थ रह सकते हैं।
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Tuesday 2 October 2018

Plastic is Harmful For Health

October 02, 2018 0

सेहत के लिए हानिकारक है प्लास्टिक 


                हमारी जिंदगी में हर जगह प्लास्टिक की घुसपैठ है। सिर्फ किचन की बात करें तो नमक, घी, तेल, आटा, चीनी, ब्रेड, बटर, जैम और सॉस...सब कुछ प्लास्टिक में पैक होता है। तमाम चीजें भी प्लास्टिक के कंटेनर्स में ही रखी जाती हैं। सस्ते, हलके और लाने-ले जाने में आसान होने की वजह से लोग प्लास्टिक कंटेनर्स को पसंद करते हैं। खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक नुकसानदायक हो सकता है। जानें उसके बारे में।




प्लास्टिक कितना जहरीला-

             एक रिसर्च के मुताबिक, पानी में न घुल पाने और बायोकेमिकल ऐक्टिव  न होने की वजह से प्योर प्लास्टिक कम जहरीला होता है लेकिन जब इसमें दूसरे तरह के प्लास्टिक और कलर्स मिला दिए जाते हैं तो यह
नुकसानदेह साबित हो सकता है। गर्मी के मौसम में ये केमिकल्स खिलौने या दूसरे प्रोडक्ट्स में से पिघलकर बाहर निकल सकते हैं। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने बच्चों के खिलौनों और चाइल्ड केयर प्रोडक्ट्स में इस तरह के प्लास्टिक के इस्तेमाल को सीमित कर दिया है। यूरोप ने साल 2005 में ही इस पर बैन लगा दिया था तो जापान समेत 9 दूसरे देशों ने भी बाद में इस पर पाबंदी लगा दी।

बुद्धिमान लोग अक्‍सर देर से सोते हैं, अभद्र भाषा का करते हैं इस्‍तेमाल- रिसर्च


Qualityकी जांच-

          यूं तो हम सभी लोग पानी के लिए बोतल या खाना रखने के लिए प्लास्टिक लंच बॉक्स का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या कभी हमने उन्हें पलटकर देखा है कि उनके पीछे क्या लिखा है? क्या इस पर कोई सिंबल तो नहीं
 बना हुआ है? दरअसल, अच्छी क्वॉलिटी के प्रोडक्ट पर सिंबल्स का होना जरूरी है। यह मार्क ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड  जारी करता है और इससे पता लगता है कि प्रोडक्ट की Quality अच्छी है। इन सिंबल्स (क्लॉकवाइज ऐरो के ट्राइएंगल्स) को रीजन आइडेंटिफिकेशन कोड सिस्टम  कहते हैं। इन ट्राइएंगल्स के बीच में कुछ नंबर्स भी होते हैं। इन नंबरों से ही पता चलता है कि आपके हाथ में जो प्रोडक्ट है, वह किस तरह के प्लास्टिक से बना है।



नंबर्स का मतलब-

1. अगर प्रोडक्ट पर नंबर 1 लिखा है तो यह प्रोडक्ट टेरेफथालेट से बना है। सॉफ्ट ड्रिंक, वॉटर, केचअप, अचार, जेली और पीनट बटर ऐसी बोतलों में रखे जाते हैं।
खूबी : यह अच्छा प्लास्टिक है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन  ने इसे खाने-पीने की चीजों की पैकेजिंग के लिए सुरक्षित बताया है।

2. नंबर 2 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट हाई-डेंसिटी पॉलिथिलीन से बना है। दूध, पानी और जूस की बोतल, योगर्ट की पैकेजिंग, रिटेल बैग्स बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
खूबी : हलके वजन और टिकाऊ होने की वजह से इसका इस्तेमाल आम है।

3. नंबर 3 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट पॉलीविनाइपाइरोलीडोन क्लोराइड से बना है।  इसका इस्तेमाल कन्फेक्शनरी प्रोडक्ट्स, डेयरी प्रोडक्ट्स, सॉस, मीट, हर्बल प्रोडक्ट्स, मसाले, चाय और कॉफी आदि की पैकेजिंग में होता है।
खूबी : शानदार बैरियर प्रॉपर्टी (नमी से बचाने वाली) की वजह से इसमें फूड पैकेजिंग की जाती है।

4. नंबर 4 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट लो डेंसिटी पॉलिथिलीन से बना है। इससे आउटडोर फर्नीचर, फ्लोर टाइल्स और शॉवर कर्टेन बनते हैं।
खूबी: यह नॉन-टॉक्सिक मटीरियल  है। इससे सेहत को कोई नुकसान नहीं होता।

5. नंबर 5 का मतलब है कि यह प्रोडक्ट पॉलीप्रोपोलीन  से बना है। इससे बोतल के ढक्कन, ड्रिंकिंग स्ट्रॉ और योगर्ट कंटेनर बनाए जाते हैं।
खूबी : केमिकल रेजिस्टेंस  इसकी खूबी है। एसिड इसके साथ रिएक्ट नहीं करता इसलिए इसको क्लीनिंग एजेंट्स, फस्र्ट एड प्रोडक्ट्स  आदि की पैकेजिंग के लिए भी यूज किया जाता है।

6. नंबर 6 का मतलब है कि प्रोडक्ट पॉलिस्टरीन से बना है। फोम पैकेजिंग, फूड कंटेनर्स, प्लास्टिक  टेबलवेयर, डिस्पोजबल कप-प्लेट्स, कटलरी, सीडी और कैसेट बॉक्सेज में इसे इस्तेमाल किया जाता है।
खूबी: यह फूड पैकेजिंग के लिए सेफ है लेकिन इसे रीसाइकल करना मुश्किल है। इसके ज्य़ादा इस्तेमाल से बचना चाहिए।

World Health Organization (W.H.O.) का दावा है - दुनिया में हर 20 मौतों में से 1 शराब के कारण है 

7. नंबर 7 का मतलब है कि इस प्रोडक्ट में कई तरह के प्लास्टिक का मिक्सचर होता है। इसमें खासतौर पर पॉलीकार्बोनेट होता है। इससे सीडी, सिपर, सनग्लास, केचअप कंटेनर्स बनते हैं।
खूबी : यह काफी मजबूत होता है। हालांकि कुछ एक्सपट्र्स कहते हैं कि इसमें हॉर्मोंस पर असर डालने वाले बाइस्फेनॉल की मौजूदगी होती है इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।




निष्कर्ष : खाने की चीजों रखने के लिए 1, 2, 4 और 5 कैटेगरी का प्लास्टिक सही है। ये बेहतर फूड ग्रेड कैटेगरी में आते हैं। 3 और 7 कैटेगरी के कंटेनर खाने में केमिकल छोड़ते हैं, खासकर गर्म करने के बाद। 6 नंबर का भी इस्तेमाल कम करें। इनमें खाने की चीजें न रखें।

फूड कंटेनर्स -

             प्लास्टिक की थालियां और स्टोरेज कंटेनर्स खाने-पीने की चीज में केमिकल छोड़ते हैं। इसका खतरा टाइप 3 और 7 या किसी हार्ड प्लास्टिक से बने कंटेनर्स में और भी ज्य़ादा होता है। इन प्लास्टिक्स में बाइस्फेनॉल ए (बीपीए) नामक केमिकल होता है। प्लास्टिक आइटम्स में बीपीए के बाद सबसे ज्य़ादा इस्तेमाल होने वाला केमिकल है थालेट्स )। यह प्लास्टिक को लोचदार बनाता है। ये केमिकल हमारे शरीर के हॉर्मोंस को प्रभावित करते हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन  ने इस बात को माना है कि सभी तरह के प्लास्टिक एक वक्त के बाद केमिकल छोडऩे लगते हैं, खासकर जिन्हें गर्म किया जाता है। ऐसा करने से प्लास्टिक के केमिकल्स टूटने शुरू हो जाते हैं और फिर ये खाने-पीने की चीजों में मिल जाते हैं, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

पानी की बोतल -
            पानी की बोतलों को एक बार इस्तेमाल करके तोड़ देना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि अकसर हम प्लास्टिक की बोतल को तेज धूप में खड़ी कार में रखकर छोड़ देते हैं। गर्म होकर इन प्लास्टिक बोतलों से केमिकल निकलकर पानी में रिएक्ट कर सकता है। ऐसे पानी या सॉफ्ट ड्रिंक्स को नहीं पीना चाहिए।

पॉलिथिन में चाय -

             अकसर देखा गया है कि छोटी पॉलिथिन थैलियों में लोग गर्म चाय ले जाते हैं। एक्सपट्र्स के मुताबिक यह तरीका बेहद नुकसानदेह है। तुरंत तो कुछ पता नहीं चलता लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल करने से यह कैंसर का कारण बन सकता है। 

दवा की शीशी-

             प्लास्टिक शीशी में होम्योपैथिक दवाएं  सेफ होती हैं, बशर्ते शीशी लूज प्लास्टिक की न बनी हो। वैसे, होम्योपैथिक दवाएं  कांच की शीशी में रखी हों तो बेहतर रहेगा।

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Intelligent People often Sleep late, do the use of wrong language - Research

October 02, 2018 0

बुद्धिमान लोग अक्‍सर देर से सोते हैं, अभद्र भाषा का करते हैं इस्‍तेमाल- रिसर्च 

              इनके बारे में यह भी कहा गया कि स्‍मार्ट लोगों  में बाकियों की तुलना में चीजों और परिस्थितियों के मुताबिक अनुकूलन क्षमता अधिक होती है.  

              क्‍या आप देर से सोने जाते हैं? क्‍या आप बाकियों की तुलना में अभद्र शब्‍दों का अधिक इस्‍तेमाल करते हैं? हो सकता है कि इसकी वजह से घर-बाहर आपकी आलोचना होती हो लेकिन एक नए शोध  में यह दावा किया गया है कि बात कुछ और है. दरअसल एक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि इस तरह के लोग आमतौर पर ईमानदार और बुद्धिमान  होते हैं.

             इस शोध में यह भी कहा गया कि ये लोग थोड़ा बेतरतीब ढंग से जीते हैं. बहुत सुव्‍यस्थित नहीं होते. अक्‍सर अपनी बातों, भावों, विचारों को पुख्‍ता तरीके से रखने के लिए ऐसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करते जो शिष्‍टता के दायरे में नहीं आते. इस शोध में यह भी दलील दी गई कि इस तरह के शब्‍दों का प्रयोग उनके भाषा के प्रवाह और शब्‍दावली पर पकड़ को भी दर्शाता है.




देर से सोते हैं बुद्धिमान लोग-

                     इस स्‍टडी के मुताबिक जिन लोगों का बौद्धिक स्‍तर (आईक्‍यू) अधिक होता है, वे रात में अधिक सक्रिय होते हैं. लिहाजा अधिक रात तक जगते हैं. इस स्‍टडी के मुताबिक जिन लोगों का आईक्‍यू 75 से कम होता है, वे रात में 11:41 बजे तक जगते हैं और वहीं जिन लोगों का आईक्‍यू 123 से अधिक है, वे आमतौर पर मध्‍यरात्रि के बाद यानी 12:30 बजे तक जागते हैं. इस रिसर्च में इस तरह के लोगों को स्‍मार्ट कहा गया है. इनके बारे में यह भी कहा गया कि स्‍मार्ट लोगों में बाकियों की तुलना में चीजों और परिस्थितियों के मुताबिक अनुकूलन क्षमता अधिक होती है. ऐसे लोग समस्‍याओं का समाधान खोजने में दिलचस्‍पी रखते हैं. इस संबंध में महान वैज्ञानिक अल्‍बर्ट आइंसटीन ने भी कहा है कि बुद्धिमान लोगों की निशानी उनका ज्ञान नहीं बल्कि कल्‍पनाशीलता होती है.



सकारात्‍मक विजन-

                     रिसर्च के मुताबिक ऐसे लोगों की खास निशानी यह होती है कि इनका चीजों को देखने का नजरिया बहुत सकारात्‍मक होता है. वे हर चीज में सकारात्‍मकता खोजते हुए उसमें से सर्वश्रेष्‍ठ निकालने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोग अपनी गलतियों से सीखते हैं.

नैतिकता का तकाजा-

                    इस रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि ऐसे लोग अधिक नैतिक होते हैं. इस संबंध में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था कि शिक्षा के माध्‍यम से व्‍यक्ति में आलोचनात्‍मक और सघन नजरिया विकसित होना चाहिए. नैतिकता के साथ बौद्धिकता का मनुष्‍य में विकास शिक्षा का मकसद होना चाहिए
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Monday 1 October 2018

W.H.O. claims - 1 out of every 20 deaths in the world is due to alcohol

October 01, 2018 0

World Health Organization (W.H.O.) का दावा है - दुनिया में हर 20 मौतों में से 1 शराब के कारण है -

              शराब और स्वास्थ्य पर संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा यह नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि शराब दुनिया भर में 20 में एक मौत का कारण बनता है।

             विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि शराब दुनिया भर में तीन लाख मौतों का कारण बनता है। यह एड्स, हिंसा और सड़क दुर्घटनाओं की मौत से प्राप्त आंकड़ों से अधिक है। विशेष रूप से पुरुषों में जोखिम अधिक हैं। शराब और स्वास्थ्य पर संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा यह नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि शराब दुनिया भर में 20 में एक मौत का कारण बनता है। इनमें शराब पीकर गाड़ी चलाने, शराब पीकर हिंसा, बीमारी और इससे जुड़ी दूसरी विकृतियों की वजह से होने वाली मौतें शामिल हैं.

              इस 500-पेज की रिपोर्ट में, यह कहा गया था कि शराब के कारण मृत्यु के तीन चौथाई से अधिक पुरुष थे। एक बयान में, डब्ल्यूएचओ के मुख्य टेड्रोस एंटोनॉम गेब्रियोस ने कहा, "कई लोगों के लिए शराब के हानिकारक परिणामों का असर उनके परिवार और समाज के लोगों को हिंसा, चोटों, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, और कैंसर और हृदय रोगों के रूप में प्रभावित करता है।"

            उन्होंने कहा, "स्वस्थ समाज के विकास में इस गंभीर खतरे को रोकने के लिए कार्रवाई करने का समय है।" अल्कोहल पीने के कारण, लीवर सिरोसिस और कुछ कैंसर सहित 200 से अधिक स्वास्थ्य विकार हैं।

             वैश्विक स्तर पर, वर्ष 2016 में अल्कोहल से जुड़ी मौतों की संख्या लगभग 30 लाख थी। अब तक इस संबंध में यह नवीनतम आंकड़ा है।


W.H.O. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर चौथे किशोर पीड़ित अवसाद से पीड़ित है

        W.H.O. की नवीनतम डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का हर चौथा बच्चा अवसाद का शिकार है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि 10 दक्षिणपूर्व एशियाई देशों में सबसे ज्यादा आत्महत्या दर भारत में है। उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया में 'मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति: कार्रवाई का सबूत’ नामक एक रिपोर्ट जारी की, जो कहती है कि 2012 में भारत में 15-29 साल उम्रवर्ग के प्रति एक लाख व्यक्ति पर आत्महत्या दर 35.5 था. जो कहती है कि 2012 में भारत में 15-29 साल उम्रवर्ग के प्रति एक लाख व्यक्ति पर आत्महत्या दर 35.5 था.


अवसाद आत्महत्या का कारण बन सकता है -

             इस उम्रवर्ग में, इंडोनेशिया में, प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रति व्यक्ति आत्महत्या दर 3.6 और नेपाल में 25.8 है। डब्ल्यूएचओ के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि अवसाद आत्महत्या का कारण बन सकता है और इस क्षेत्र में 15 से 29 वर्ष की उम्र में आत्महत्या मृत्यु का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारण है। अवसाद से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं ऐसा बनाया जाना चाहिए जो लोगों के लिए आसानी से सुलभ हैं और उच्च गुणवत्ता वाले हैं।



अवसाद के हर चौथे किशोर पीड़ित -

              विश्व स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या 131.11 मिलियन है, जिसमें से 7.5 मिलियन किशोर (13-15 वर्ष) और कुल जनसंख्या का 5.8 प्रतिशत है। उनके पास 3.98 मिलियन लड़के और 3.57 लड़कियां हैं।इस साल अवसाद के आधार पर यह रिपोर्ट बताती है कि सात प्रतिशत किशोरावस्था बर्बरता के शिकार पाए गए. । उन्हें अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों और बड़े लोगों की टिप्पणियों आहत महसूस किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 प्रतिशत किशोर अवसादग्रस्त और निराश या उदास हैं, जबकि 11 प्रतिशत अपने अधिकांश समय पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते हैं या अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते
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