बुद्धिमान लोग अक्सर देर से सोते हैं, अभद्र भाषा का करते हैं इस्तेमाल- रिसर्च
इनके बारे में यह भी कहा गया कि स्मार्ट लोगों में बाकियों की तुलना में चीजों और परिस्थितियों के मुताबिक अनुकूलन क्षमता अधिक होती है.
क्या आप देर से सोने जाते हैं? क्या आप बाकियों की तुलना में अभद्र शब्दों का अधिक इस्तेमाल करते हैं? हो सकता है कि इसकी वजह से घर-बाहर आपकी आलोचना होती हो लेकिन एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि बात कुछ और है. दरअसल एक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि इस तरह के लोग आमतौर पर ईमानदार और बुद्धिमान होते हैं.
इस शोध में यह भी कहा गया कि ये लोग थोड़ा बेतरतीब ढंग से जीते हैं. बहुत सुव्यस्थित नहीं होते. अक्सर अपनी बातों, भावों, विचारों को पुख्ता तरीके से रखने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करते जो शिष्टता के दायरे में नहीं आते. इस शोध में यह भी दलील दी गई कि इस तरह के शब्दों का प्रयोग उनके भाषा के प्रवाह और शब्दावली पर पकड़ को भी दर्शाता है.
देर से सोते हैं बुद्धिमान लोग-
इस स्टडी के मुताबिक जिन लोगों का बौद्धिक स्तर (आईक्यू) अधिक होता है, वे रात में अधिक सक्रिय होते हैं. लिहाजा अधिक रात तक जगते हैं. इस स्टडी के मुताबिक जिन लोगों का आईक्यू 75 से कम होता है, वे रात में 11:41 बजे तक जगते हैं और वहीं जिन लोगों का आईक्यू 123 से अधिक है, वे आमतौर पर मध्यरात्रि के बाद यानी 12:30 बजे तक जागते हैं. इस रिसर्च में इस तरह के लोगों को स्मार्ट कहा गया है. इनके बारे में यह भी कहा गया कि स्मार्ट लोगों में बाकियों की तुलना में चीजों और परिस्थितियों के मुताबिक अनुकूलन क्षमता अधिक होती है. ऐसे लोग समस्याओं का समाधान खोजने में दिलचस्पी रखते हैं. इस संबंध में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन ने भी कहा है कि बुद्धिमान लोगों की निशानी उनका ज्ञान नहीं बल्कि कल्पनाशीलता होती है.
सकारात्मक विजन-
रिसर्च के मुताबिक ऐसे लोगों की खास निशानी यह होती है कि इनका चीजों को देखने का नजरिया बहुत सकारात्मक होता है. वे हर चीज में सकारात्मकता खोजते हुए उसमें से सर्वश्रेष्ठ निकालने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोग अपनी गलतियों से सीखते हैं.
नैतिकता का तकाजा-
इस रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि ऐसे लोग अधिक नैतिक होते हैं. इस संबंध में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था कि शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति में आलोचनात्मक और सघन नजरिया विकसित होना चाहिए. नैतिकता के साथ बौद्धिकता का मनुष्य में विकास शिक्षा का मकसद होना चाहिए
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